SOLAR PANEL क्या है ? ये कितने प्रकार के होते है ?
सूर्य की रोशनी से बिजली बनाने की अत्याधुनिक तकनीक को हम सौर ऊर्जा (Solar Energy) कहते हैं इस सौर ऊर्जा को उत्पन करने के लिए जिस आधुनिक उपकरण का उपयोग किया जाता है उसे सोलर पैनल (SOLAR PANEL) कहते है आइए सोलर पैनल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सोलर पैनल क्या है?
सोलर पैनल एक प्रकार का परिवर्तक (converter) है जो कई सोलर सेल्स (Solar Cells) से मिलकर बना होता है ये सेल्स एक फ्रेम पर लगे होते हैं और इनके ऊपर कांच का एक सुरक्षा कवच होता है ये सेल्स सेमी-कंडक्टर पदार्थों ज्यादातर सिलिकॉन से बने होते हैं।
सोलर पैनल का इतिहास »
हालाकि सूरज की रोशनी का उपयोग मानव हमेशा से ही करता आया है लेकिन सोलर पैनल का इतिहास अपेक्षाकृत नया है आइए सोलर पैनल के आविष्कार और विकास की यात्रा को थोड़ा करीब से देखें !
- 1839 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक एडमंड बेकरेल ने सबसे पहले सौर प्रभाव (Photovoltaic Effect) की खोज की उन्होंने पाया कि कुछ पदार्थ जैसे सिलिकॉन प्रकाश के संपर्क में आने पर विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं।
- 1904 में अलेक्जेंडर हेनरी लॉज ने पहला सौर सेल विकसित किया यह सिलिकॉन का उपयोग करने के बजाय सेलेनियम से बना था और बहुत कम दक्षता वाला था।
- 1954 में बेल लैब्स के वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन आधारित सौर सेल का आविष्कार किया यह आधुनिक सौर पैनलों का आधार बना
- अंतरिक्ष कार्यक्रमों ने सौर ऊर्जा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कृत्रिम उपग्रहों को चलाने के लिए सौर पैनलों का उपयोग किया जाने लगा।
- 21वीं सदी में सौर ऊर्जा की लागत में गिरावट आई है और यह अब पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है सौर पैनल अब घरों व्यवसायों और उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग किए जा रहे हैं सौर पैनलों के विकास में निरंतर प्रगति हो रही है आने वाले समय में और भी अधिक किफायती कुशल और टिकाऊ सौर पैनल बाजार में आने की संभावना है
- भारत में सौर ऊर्जा का उपयोग प्राचीन काल से होता रहा है हाल के वर्षों में भारत सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है भारत अब सौर ऊर्जा उत्पादन में विश्व के अग्रणी देशों में से एक बनकर उभरा है
सौर पैनल कैसे काम करता है?
सूर्य से निकलने वाली किरणों में ऊर्जा के छोटे–छोटे पैकेट होते हैं जिन्हें फोटॉन (Photon) कहा जाता है जब ये फोटॉन सौर सेल पर पड़ते हैं तो वे सेल के अंदर इलेक्ट्रॉन नामक उप-परमाणविक कणों को उत्तेजित कर देते हैं. यह उत्तेजना विद्युत धारा (Electric Current) उत्पन्न करती है इस प्रक्रिया को फोटोवोल्टिक प्रभाव (Photovoltaic Effect) कहते हैं
अलग-अलग सौर सेल्स को सीरीज में जोड़कर एक पैनल बनाया जाता है इससे मिलने वाली धारा को इन्वर्टर (Inverter) की मदद से उपयोग योग्य विद्युत धारा (AC Current) में बदला जाता है जिसे हम घरों या अन्य उपकरणों में उपयोग करते हैंआपको बताना चाहूंगा कि सोलर पैनल बनाने के लिए सबसे ज्यादा सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है सिलिकॉन धरती पर सबसे ज्यादा मात्रा में बालू में पाया जाता है. शुद्धीकरण की प्रक्रिया के द्वारा बालू से सिलिकॉन को अलग किया जाता है. सिलिकॉन एक ऐसा तत्व है जो सौर ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता रखता है शुद्ध सिलिकॉन से क्रिस्टल तैयार किए जाते हैं, जिससे सोलर पैनल बनाए जाते हैं. बनावट के आधार पर सोलर पैनल मुख्यता पांच प्रकार के होते हैं. इन सभी सोलर पैनल के प्रकार को अब हम एक-एक कर जानेंगे.
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा है ?
सौर पैनल विभिन्न प्रकारों में उपलब्ध होते हैं जो अलग-अलग उद्देश्यों और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाए गए होते हैं।
- पॉलिक्रिस्टलाइन सौर पैनल (Polycrystalline Solar Panels)
- मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल (Monocrystalline Solar Panels)
- थिन-फिल्म सौर पैनल (Thin-Film Solar Panels)
- बियफेसिक सौर पैनल (Bifacial Solar Panels)
- अमोर्फस सौर पैनल (Amorphous Solar Panels)
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ( Polycrystalline Solar Panel)
पॉलीक्रिस्टलाइन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पॉली और क्रिस्टल। पॉली का अर्थ है “अनेक” और क्रिस्टल का अर्थ है “सिलिकॉन क्रिस्टल”। जैसा कि नाम से ही पता चलता है पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में अनेक सिलिकॉन क्रिस्टल होते हैं। इन पैनलों को बनाने के लिए अनेक सिलिकॉन क्रिस्टलों को आपस में जोड़ा जाता है। यही कारण है कि इन्हें पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कहा जाता है।
यह सबसे पुराना प्रकार का सोलर पैनल है और इसकी सेल नीले रंग की होती है। इन पैनलों को बनाने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सस्ती होती है जिसके कारण ये अन्य प्रकार के सोलर पैनलों की तुलना में थोड़े कम दामों में उपलब्ध होते हैं।
हालांकि पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनलों में अधिक क्रिस्टल होने के कारण वे कम सौर ऊर्जा ग्रहण कर पाते हैं। इनकी दक्षता दर लगभग 16-17% तक होती है। इसलिए इन पैनलों का उपयोग उन स्थानों पर करना चाहिए जहाँ धूप अधिक समय तक रहती हो। बर्फीले, अधिक बारिश वाले, या बादल वाले इलाकों में इन पैनलों का उपयोग करने से बचना चाहिए।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Monocrystalline Solar Panel)
मोनो शब्द का अर्थ “एक” होता है। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल वे सोलर पैनल होते हैं जो सिलिकॉन के एकल क्रिस्टल से बनाए जाते हैं। चूंकि ये पैनल एकल सिलिकॉन क्रिस्टल से बने होते हैं, इसलिए इनमें किसी भी प्रकार की अशुद्धियां नहीं होती हैं। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में सौर ऊर्जा को ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है।
इन पैनलों की दक्षता दर लगभग 19-20% तक होती है। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल काले रंग के होते हैं और उनके सोलर सेल कोनों पर गोल कटे होते हैं। पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनलों की तुलना में मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल थोड़े महंगे होते हैं।
हालांकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कम धूप वाले स्थानों में भी उपयोग किए जा सकते हैं। बारिश के मौसम में भी ये पैनल बिजली बनाने में सक्षम होते हैं।
थिन -फिल्म सोलर पैनल (Thin-Film Solar Panels)
थिन फिल्म सोलर पैनल सोलर पैनल उद्योग में एक नया और क्रांतिकारी उत्पाद है। जैसा कि नाम से पता चलता है यह एक पतली फिल्म वाला सोलर पैनल है जो पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में बहुत पतला और लचीला होता है। यह बिना किसी फ्रेम के बनाया जाता है जिससे इसे किसी भी आकार में आसानी से फिट किया जा सकता है। थिन फिल्म सोलर पैनल वजन में भी काफी हल्का होता है।
पारंपरिक सोलर पैनल सिलिकॉन से बने होते हैं लेकिन थिन फिल्म सोलर पैनल कैडमियम टेलुराइड (CdTe), अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si), और कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (CIGS) जैसे विभिन्न सामग्रियों से बने होते हैं। अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si) नॉन-क्रिस्टल सिलिकॉन होते हैं।
इस प्रकार के सोलर पैनल में सेल को कंडक्टिव शीट के बीच में रखा जाता है और उसके ऊपर सुरक्षा के लिए कांच की पतली परत चढ़ाई जाती है। थिन फिल्म सोलर पैनल सिलिकॉन क्रिस्टल सोलर पैनल की तुलना में 350 गुना पतले होते हैं।
थिन फिल्म सोलर पैनल के कुछ प्रमुख लाभ »
पतला और लचीला: यह किसी भी आकार में आसानी से फिट किया जा सकता है और घुमावदार सतहों पर भी स्थापित किया जा सकता है।
हल्का: यह पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में काफी हल्का होता है, जिससे इसे स्थापित करना और ले जाना आसान होता है।
कम लागत: थिन फिल्म सोलर पैनल बनाने की लागत पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में कम होती है।
कम ऊर्जा क्षय: यह कम तापमान पर भी कुशलतापूर्वक काम करता है।
थिन फिल्म सोलर पैनल का उपयोग »
घरों और व्यवसायों के लिए बिजली उत्पादन
ग्रिड से दूरस्थ स्थानों में बिजली उत्पादन
जल पंपिंग
पोर्टेबल चार्जिंग
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली देना
हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल (Half Cut Solar Panel)
हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल एक प्रकार का सोलर पैनल है जो पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में कई लाभ प्रदान करता है। यह पैनल मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन से बना होता है जो इसे उच्च दक्षता प्रदान करता है। इसके अलावा इसे दो भागों में काटा जाता है जिससे यह कम तापमान पर भी बेहतर प्रदर्शन करता है।
हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल के कुछ प्रमुख लाभ »
उच्च दक्षता: मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन का उपयोग करने के कारण, हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक कुशल होते हैं। इसका मतलब है कि वे समान मात्रा में सूर्य की रोशनी से अधिक बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।
बेहतर कम तापमान प्रदर्शन: हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल कम तापमान पर भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह उन्हें ठंडे क्षेत्रों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है।
कम बिजली हानि: हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल में कम बिजली हानि होती है। इसका मतलब है कि वे अधिक बिजली का उत्पादन करते हैं और कम ऊर्जा बर्बाद करते हैं।
अधिक टिकाऊ: हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं।
सुंदर: हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक सुंदर होते हैं।
हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल का उपयोग »
हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है
घरों और व्यवसायों के लिए बिजली उत्पादन
ग्रिड से दूरस्थ स्थानों में बिजली उत्पादन
जल पंपिंग
पोर्टेबल चार्जिंग
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली देना
बाइफेशियल सोलर पैनल (Bifacial Solar Panel)
बाइफेशियल सोलर पैनल एक प्रकार का सोलर पैनल है जो पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक बिजली का उत्पादन कर सकता है। यह पैनल दो तरफ से बिजली का उत्पादन करता है – एक तरफ से सूर्य की रोशनी से और दूसरी तरफ से परावर्तित प्रकाश से।
बाइफेशियल सोलर पैनल के कुछ प्रमुख लाभ »
अधिक बिजली उत्पादन: बाइफेशियल सोलर पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में 5-30% अधिक बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।
कम लागत प्रति वाट: बाइफेशियल सोलर पैनलों की लागत प्रति वाट पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में कम हो रही है।
बेहतर प्रदर्शन कम रोशनी में: बाइफेशियल सोलर पैनल कम रोशनी में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
अधिक टिकाऊ: बाइफेशियल सोलर पैनल पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं।
बाइफेशियल सोलर पैनल सभी स्थानों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। यदि आपके क्षेत्र में धूप कम या बर्फीली होती है तो बाइफेशियल सोलर पैनल आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है।
बाइफेशियल सोलर पैनलों की लागत पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में थोड़ी अधिक हो सकती है।
बाइफेशियल सोलर पैनल का उपयोग »
बाइफेशियल सोलर पैनल का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है
घरों और व्यवसायों के लिए बिजली उत्पादन
ग्रिड से दूरस्थ स्थानों में बिजली उत्पादन
जल पंपिंग
पोर्टेबल चार्जिंग
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली देना
आशा करता हूँ सोलर पैनल से संबन्धित यह पोस्ट आप को अच्छी और जानकारी युक्त लगी होगी। सोलर पैनल की जानकारी के लिए हमारी अन्य पोस्ट को भी ज़रूर पढ़ें। सोलर पैनल से संबन्धित यदि आप के पास कोई और भी सवाल है तो आप हमसे कॉमेंट में पूँछ सकते हैं। हम आप के सवालो के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। इस ब्लॉग के बारे मे आप के कोई सुझाव हों तो वह भी कॉमेंट कर ज़रूर बताएं। आप के प्रश्न एवं सुझाव का हमे इंतज़ार रेहगा। धन्यवाद। प्लीज ऊपर दी गई जानकारी को सही हेडिंग तथा सही तरीके से लिखो